Bacho ki kahani | ऐक ऐसा बच्चा जिसे राजा पद मिल तो बहुत संघर्ष करने के बाद

 आज मैं आपको इस कहानी के जरिए कैसे बच्चे की कहानी सुनाऊंगा जो कि अपने बालपन में ही बहुत ही प्रशिक्षण और कुशल योद्धा है और वह एक राजा का बेटा है राजा पेशावर बहुत ही उम्दा और नेक दिल के राजा हैं उनका एक बेटा है जिसका नाम तकदीर है आज आप तकदीर के विषय में इन सब बातों को जानेंगे जो कि जो कि एक बच्चे को पता होना चाहिए और इससे बच्चा प्रेरित होकर इन सभी चीजों को अपने जीवन में उतार सकता है और एक सफल व्यक्ति बन सकता है चलिए फिर शुरू करते हैं

Bacho ki kahani
Bacho ki Kahani


तकदीर का बालपन और खेल प्रशिक्षण


तकदीर एक बहुत ही होशियार होने दिल का बच्चा है जो कि अपने सभी बड़े बुजुर्ग और अपने सभी साथी संगी बहुत याद करता है सम्मान करता है सभी उससे प्यार से बाबू बुलाते हैं लेकिन तकदीर अपनी ही दुनिया में खोया रहता है और नई नई चीजों को करने का प्रयास करता रहता है जैसे पहाड़ों पर चलना और नदियों को पार करना नई नई कहानी सुनना नई-नई चीजें देखना यह सब उसके जीवन चर्या में शामिल है और हर नई चीजों को अपने जीवन में उतारना वह धनुर्विद्या में भी बहुत ही कुशल है और अच्छी धनुर्विद्या सीखना चाहता है


यह प्रशिक्षण वहां अपने गुरुओं से लेता है और उसके गुरु तकदीर को बहुत ही अच्छा प्रशिक्षण देते हैं तकदीर अपने पूरे राज्य में बहुत ही फेमस हो चुका था क्योंकि उसके कारनामे पूरे राज्य में पूजा करते थे माना कि वह एक राजा का बेटा था फिर भी अपने प्रजा से बहुत ही गोली लेकर रहता था 


बच्चे का अचानक खो जाना


एक दिन यह बच्चा अचानक गायब हो जाता है बहुत ढूंढने पर भी नहीं मिलता है तो उसके पिता जो भी उसको ढूंढ कर लाएगा ऐसा इनाम बोल देते हैं तो राज्यों के कई लोग कई तथा कई ग्रुप इसकी खोज में जंगलों में निकल जाते हैं कि इस बच्चे को ढूंढ कर लाना है इधर ही लोग घूमते रहते हैं और उधर  यह जंगल से जा रहा होता है तभी जंगल में एक झोपड़ी होती है बूढ़ी मां की झोपड़ी पर या कुछ देर रुकता है और कुछ खाने को मांगता भी बूढ़ी मां से एक बाजरे की रोटी गरम-गरम बना कर देती है इसको जंगल पहुंचाने वाला इसी का सेनापति होता है जो कि इस से बहुत नफरत करता है और इसको कुछ लोगों के साथ मिलकर जंगल में छोड़ आता है



और बच्चा तकदीर चुके अभी बहुत छोटा होता है वह दादी मां से बात करता है दादी मां उसके चेहरे की लालिमा उसकी बात करने की कला को देखकर बहुत ही खुश होती हैं और उसे अपने पास ही रोक लेते हैं कि बेटे इस जंगल में तुम अकेले कहां जाओगे जंगली जानवर है तुम्हें खा लेंगे ऐसा बोलकर बच्चा वहीं पर रुक जाता है और बच्चा चाबी कहां सकता है बहुत छोटा है अभी

तकदीर का वापस दोबारा मिल जाना

उधर राजा ने सभी लोग को हुक्म दे दिया है कि जो भी मेरे बच्चे को ढूंढ के लाएगा उसे मुंह मांगा इनाम दिया जाएगा बच्चा तकदीर की खोज भी चालू हो गई है और उसे अपनी जगह जगह पर ढूंढा जा रहा है तभी उधर से एक सैनिक को चढ़ता है और झोपड़ी की तरफ बढ़ता है तभी देखता है कि तकदीर तो झोपड़ी पर है और उसे देखकर बहुत ही निराशा होती है कि तकदीर यहां पर कैसे फिर तकदीर बताता है कि मुझे नहीं पता मुझे कुछ लोग उठा कर ले आए थे और यही छोड़ कर चले गए जब ऐसा वह अपने सैनिक से कहता है तो सैनिक को बहुत ही गुस्सा आता है वह दादी मां और बच्चे को लेकर अपने राज्य लौट आता है


जैसे ही तकदीर को देखता है वैसे बहुत ही खुश होता है और पूरी बात तकदीर से सुनता तब तकदीर बताता है कि मैं जंगल में था से बात आती माने मेरी मदद करें अपने साथ जो पीती है वह सभी अपने पिता को बताता है और उसका पिता दादी मां को अपने ही महल में रोक लेता है और सैकड़ों तरह के व्यंजनों को खाने के लिए देते हैं

सेनापति का षड्यंत्र राजा को पता चला

इधर राजा का सेनापति अपना षड्यंत्र रच रहा था किस प्रकार राजा को जान से मार आ जाए और स्वयं राजा बना जाए परंतु यह मंसूबा राजा को किसी ना किसी प्रकार से पता चल गया और राजा ने बीच चौराहे पर सेनापति का सर कटवा दिया इससे राजा का पूरे राज्य में डंका हो गया


बच्चा धीरे-धीरे बढ़ा हुआ और उसमें अपने ही पिता की गति को संभाला और अपने पिता का नाम रोशन किया राज्य पाठ को बहुत अच्छे से चलाया कई युद्ध लड़े और अपने राज्य का विस्तार किया इसी प्रकार उसका जीवन व्यतीत होने का लगा


एक काल्पनिक कहानी है जो कि केवल मनोरंजन के लिए विकसित की गई यह कहानी केवल और केवल लेखक के दिमाग की उपज है और इसे हकीकत से कोई लेना देना नहीं जो कहानी हकीकत या सच्ची होती हैं उनका कॉलम अलग बना हुआ है आप उन्हें पढ़ सकते हैं लेकिन ऐसी कहानियां अच्छी लगती हैं तो बनाई जाती है जब कहानियां बनाए जाएंगे तभी वह कहीं ना कहीं सच्ची होंगे


शिक्षा

इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि बच्चा हो या मनुष्य कोई भी हो अपने आसपास के परिवेश से हमेशा सीखते रहना चाहिए जिससे कार्य को तुम्हें सौंपा गया है उसको पूरी ईमानदारी और निष्ठा से करना ही तुम्हारा कर्तव्य है उसी को तुम धर्म बना सकते हो असल में धर्म केवल और केवल अपने कर्तव्य का निर्वहन करना ही है इसीलिए केवल और केवल अपने कर्तव्य का निर्वहन करो

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